छत्तीसगढ़ का मुखर्जी नगर (दिल्ली) के नाम से मशहूर " गांधी चौक " बिलासपुर : छत्तीसगढ़ को सिविल सेवक देने वाली औद्योगिक स्थल
छत्तीसगढ़ का मुखर्जी नगर (दिल्ली) के नाम से मशहूर " गांधी चौक " बिलासपुर : छत्तीसगढ़ को सिविल सेवक देने वाली औद्योगिक स्थल
परिचय :
छत्तीसगढ़ मे इस जगह को CGPSC के छात्रों का निवास स्थान कहें, रहीशी इलाका कहें, गढ़ कहें या फ़िर हब तो ज़रा भी अतिश्योक्ति नही होगी.
छत्तीसगढ़ के लोग समझ चुके होंगे हम किस जगह कि बात कर रहे हैं, जी हां! आपने बिल्कुल सही समझा हम बात कर रहे हैं CGPSC मे वर्चश्व या दबदबा रखने वाले जगह छत्तीसगढ़ का मुखर्जी नगर और राजेन्द्र नगर के नाम से मशहूर इलाका गांधी चौक, बिलासपुर की.
दिन-ब-दिन गांधी चौक बिलासपुर मे छात्रों कि भागीदारी बढोत्तरी मे है और यकिनन वर्तमान आंकडे बताते हैं कि इस इलाके मे आने वाले समय मे सबसे बड़ा अंतर छात्रों की जनसांख्यिकी कि होगी। इस इलाके मे आसानी से आपको सड़कें किताबों की दुकानों, पुस्तकालयों, किराये के मकानों और भोजनालयों अर्थात् यह जगह कोचिंग उद्योग के साथ सहायक व्यवसायों से भरी पड़ी दिख जायेगी.
यह जान कर हैरानी होगी कि इस गांधी चौक क्षेत्र मे लगभग 30 - 35 कोचिंग संस्थान हैं और लगभग उतने ही लाइब्रेरी हैं अगर पूरे बिलासपुर शहर की बात कि जाए तो आंकड़ा बहुत बढ़ जायेगी और इस क्षेत्र के कुछ घरो को छोड़कर लगभग सभी घरो मे छात्रों हेतु कमरे किराये से दिये जाते हैं और न जाने कितने होस्टेल भरे पड़े हैं कई छात्रों को कमरे न मिलने पर 2 ,5 km तक चलकर आते हैं यहां पढ़ने (और यह इस बात मे कोई अतिश्योक्ति नही है और सच मे नही है और फ़िर भी यकिन न हो तो आप यहां आकर एक एक कोचिंग संस्थान और लाइब्रेरी गीनती कर सकते हैं).एक जगह इतने कोचिंग संस्थान और लाइब्रेरी पूरे छत्तीसगढ़ मे कहीं नही मिलेगी इसीलिये इस जगह को दिल्ली का मुखर्जी नगर के तर्ज पर छत्तीसगढ़ का मुखर्जी नगर " गांधी चौक " को कहा जाता है.
CGPSC कोचिंग संस्थान/लाइब्रेरी:
कहा जाता है किसी भी देश को विकसित, संपन्न और शिक्षित बनाने का कार्य देश कि शैक्षणिक संस्थानों का योगदान अव्वल होता है, यहीं से अच्छी राजनिती कि परिभाषा सिखते हैं और इन्ही शैक्षणिक संस्थानों के बदौलत सीखे हुए मुल्यो से विकसित देश हेतु विधि क्रियान्वित किया जाता है इन्ही का एक भाग एक राज्य है छत्तीसगढ़,
छत्तीसगढ़ का मुखर्जी नगर और राजेन्द्र नगर के नाम से जाना जाने वाला इलाका है गांधी चौक, बिलासपुर.
इस शहर मे गांधी चौक से लेकर शिव टाकिज़ चौक तक का यह इलाका छात्रों के लिए जाना जाता है इसे chhattisgarh civil services कि तैयारी करने वाले छात्रों का हृदय स्थल कहा जाता है यहां अनेकोनेक कोचिंग संस्थान हैं और उससे भी ज्यादा है लाइब्रेरी जिनमे से कुछ लाइब्रेरी 24*7 भी है. CGPSC छात्रों को हर सुविधा प्रदान करने वाला गांधी चौक बिलासपुर, इस पारिस्थितिकी तंत्र ने इस क्षेत्र को एक जीवंत और प्रतिस्पर्धी केंद्र में बदल दिया है जहाँ छत्तीसगढ़ के सभी कोनों से छात्र सिविल सेवक बनने के अपने सपनों का पीछा करने बिलासपुर आते हैं उनकी पहली पसन्द होती है गांधी चौक बिलासपुर.
CGPSC छात्रों का गढ़, ट्रैफ़िक या रहीसी इलाका :
गांधी चौक से शिव टाकिज़ चौक छात्रों का रहीसी इलाका है दिन के 11 बजे से देर शाम 11 बजे तक इस इलाके मे छात्रों का ट्रैफ़िक रहता है.
अक्सर छात्रों का टूरिस्ट प्लेस - कोचिंग संस्थान, लाइब्रेरी, पुस्तकालय और कैंटीन होता है ये इलाका वही है गांधी चौक, बिलासपुर. छत्तीसगढ़ को सिविल सेवक देने वाले फ़ैट्री का नाम है गांधी चौक,बिलासपुर.
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए इसे हब कहा जाता है. यहां से हर साल छत्तीसगढ़ सिविल सेवा परीक्षा में सबसे ज़्यादा अभ्यर्थी पास होते हैं इस इलाके में कोचिंग संस्थानों के अलावा,अन्य सुविधाएं भी हैं: पुस्तक भंडार, पुस्तकालय, किराये के आवास, हॉस्टल ,कैंटीन, कैफ़े और अन्य, जो छात्रों को अपनी ओर अक्सर खींच लेता है.
ये छात्र वही है जो गांव जाते ही 4 लोगों को सरकारी योजनाओं से अवगत कराते हैं और जब भी लोगों के बिच बात करते हैं तो मंडी के भाव और प्रत्येक फ़सल के एमएसपी पर भाषण कर जाते हैं ये वही भावी कलेक्टर होते हैं जो मार्केट जाते हैं तो payment करने के पहले जीएसटी के चारो प्रकार पर नज़र दौड़ा जाते हैं अगर एमआरपी से 1 रुपया ज्यादा हुआ तो दुकानदार के सामने केन्द्रीय मन्त्री निर्मला सितारमन के बजट भाषण को शब्दार्थ सहित परोस देते हैं और 1 रुपया कम हुआ तो देश को कितना नुकसान हुआ का आंकडा भी इन्ही लोगों के पास होते हैं ये वही भावी सिविल सेवक होते हैं. ऐसे भावी पीढी़ से ही देश भ्रष्टाचार मुक्त बनेगा यकिनन. हाँ और एक बात बताना भुल गया था और यही भावी बुद्धिजिवी लोग मुख्यमंत्री / प्रधानमंत्री के सचिव तक बनते हैं कितने तेजस्वी लोग हैं हमारे देश मे.
कलेक्ट्री कि पढ़ाई सफ़र - 365*24 और चाय पर चर्चा :
देश भर के सिविल सेवक बनने कि आस रखने वाले छात्रों के एक हाथ मे छत्तीसगढ़ सामान्य अध्ययन का किताब और दूसरी हाथ मे चाय का कप देखना आम बात है.
यहां छात्रों का सुबह कोचिंग सेन्टर के सामने चाय की टपरी से एक कप चाय कि चुस्कि से करंट अफ़ेयर्स,आर्थिक सर्वेक्षण,बजट और पंच वर्षीय योजना कि दिशात्मक चर्चा के साथ शुरु होती है,
5 - 6 घंटे कोचिंग के बाद चर्चा पुनः दोपहर मे पुर्वी बघेलखन्ड पठार से इन्द्रावती - गोदावरी नदी प्रवाह तन्त्र मे और मैकल पर्वतश्रेणी से लेकर महानदी प्रवाह तन्त्र मे समाप्त होने के बाद पुनः लाईब्रेरी से निकलते ही राजर्षि नल शरभपुरिय सैल पांडु बाण सोमवन्श से लेकर कल्चुरी काकतीय मराठा सुबा अन्ग्रेज का, भारत के इतिहास से तुलनात्मक अध्ययन मे खत्म होती है .
तत्पश्चात देर रात लाईब्रेरी से निकलते हुये सिविल सेवक बनकर भारत का भुगोल बदलने कि चर्चा
परिवार के सपने,आस, साकार ज़िन्दगी कि ताकत से अपने आप को पुनः चार्ज करते हुये दिन भर कि चर्चा कोचिंग संस्थान और लाइब्रेरी का अध्ययन को रूम मेट के साथ डिसकस करते हुये अगले दिन के टोपिक का एकात्मक अध्ययन करते हुये अगली सुबह रुचिकर अध्ययन कर कलेक्टर बनने कि आस मे 5 घंटे कि नीन्द लेकर पुनः परिवार के सपने,आस और साकार ज़िन्दगी कि ताकत से अपने आप को दिनभर के लिये चार्ज करते हुये कोचिंग संस्थान और लाइब्रेरी खुलने के पहले सबेरे 6 बजे छात्रों का सुबह कोचिंग सेन्टर के सामने इस तरह उपस्थिति दर्ज कराते हैं जैसे मानो सुबह का अखबार बांटने वाला भी CGPSC क्लियर करने कि हिम्मत रखता हो, अब इनकी शुरुआत चाय की टपरी से एक कप चाय कि चुस्कि करंट अफ़ेयर्स,योजना,आर्थिक सर्वेक्षण और बजट कि चर्चा के साथ फ़िर से शुरु होती है और अन्त मे Collector या IAS के रीजल्ट तक जारी रहती है.
कलेक्टर बनने का जज़्बा :
कलेक्टर बनने का जज़्बा ,परिवार कि आस, मां का प्यार और पिता का भरोसा तो प्रत्येक छात्रों को प्रत्येक दिन पुनः चार्ज करती है, लेकिन ज्यादातर छात्र अक्सर अपने परिवारिक हाल को सुधारने कि प्रेरणा मे cgpsc कर जाते हैं ज्यादातर मामले ऐसे ही हैं . कलेक्टर बनने का जज़्बा छात्रों के अन्दर इस कदर घर कर जाता है कि कभी कभी या कहें हर वर्ष ऐसी जानकारी प्रदर्शित होती है कि पीएससी मे चयनीत कुछ छात्र अपनी पोस्टीन्ग तक नही लेते सिवाय डिप्टी कलेक्टर , डीएसपी के, लड़के इस मामले मे ज्यादातर अव्वल रहते हैं फ़िर चाहे इसके लिये हसदेव अरण्य सुन्दरवन जैसे सर के बाल जशपुर पाट प्रदेश और बस्तर के पठार जैसे क्यों न हो जाए, पेट भारत के भुगोल जैसे सामने आ जायें कोई परवाह नही लेकिन डिप्टी कलेक्टर , डीएसपी का पद हासिल करने के लिये कोई कसर नही छोड़ना है प्रत्येक वर्ष प्रत्येक छात्र यही सोचते हुये तैयारी करते हैं कि डिप्टी कलेक्टर , डीएसपी का एक पद मेरा है यही हौसले उन्हे कामयाबी कि राह पर ले जाती है यही वह मकसद है जो आज गांधी चौक बिलासपुर पर देश को IAS,IPS देने वाले गढ़ दिल्ली के रजेन्द्र नगर/मुखर्जी नगर का टैग लगा है जो छत्तीसगढ़ को डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी देने वाला औद्योगिक नगर है.
प्रेमी/प्रेमिका के ब्रेकअप मे सबसे बड़ा सहारा
जी हां! CGPSC का पाठ्यक्रम इतना लम्बा चौडा है कि upsc भी इसके सामने मथ्था टेक देता है जितना बड़ा पाठ्यक्रम होगा उतना ज्यादा मेहनत होगा तो फ़िर अध्ययन समूह मे चर्चा करना कैसे भुल जाएंगे यहां तो PYQ और MCQ से भी ज्यादा जरुरी Syllabus Wise Group discusion करना है फ़िर Group discusion कब Personel Discusion मे बदल जाता है पता नही चलता फ़िर Syllabus wise discusion और Personal discusion एक साथ ऐसे चलता है जैसे आर्थिक सर्वेक्षण और बजट.
करंट अफ़ेयर्स की प्रतिदिन बदलती हुयी न्यूज के जैसे धीरे धीरे आपसी परिचर्चा कब व्यक्तिगत करंट अफ़ेयर्स मे बदल जाती है पता नही चलता मन मे एक दुसरे के विरोध मे युद्ध कि तस्वीर ऐसे प्रतित होता है जैसे अगले मैग्ज़िन के फ़्रन्ट मे स्पोर्ट कि जगह अपना फोटो और प्रेमचन्द कि उपन्यास के जैसे अपना भी उपन्यास एक दिन हरिराम पब्लिकेसन से रिलिज होगी जिसे पढ़े बिना CGPSC निकालना असम्भव है फ़िर एक दिन ऐसा आयेगा केवल अपने अपने जीवन के अन्डरलाइन पर फ़ोकस करेंगे जैसे M. Laxmikant पर.
फ़िर आपसी परिचर्चा से कब breakup होता है पता नही चलता (पर 12th Fail देख कर खुदमे विचार बदल लेना अच्छी बात है) इससे छात्रों मे इस कदर ताकत आ जाती है कि उनसे सीधा CGPSC निकलता है फ़िर उनके सामने कोई नही टिकता ऐसे छात्र सीधा डिप्टी कलेक्टर बनते हैं और कोई पोस्ट उन्हे दिखाई नही देता उनके सामने कोई सहानुभूति या कोई समझौता काम नही करता CGPSC सेलेक्शन ही एकमात्र सहारा होता है.















बहुत ही सुंदर, सही और सारगर्भित जानकारी ।
जवाब देंहटाएंआपका आभार सर...
हटाएंतैयारी के दौरान की सारी बातें फिर से ताज़ा हो गई.....बहुत ही सुंदर चित्रण
जवाब देंहटाएंआप जैसे aspirant लोग ही बिलासपुर जैसे छोटे शहर को बड़ा शहर बनाते हैं सर...
हटाएंthank you so much
जीतना हो सके share किजिये ताकी ऐसे ही और story मिले हमारे aspirants को
जवाब देंहटाएंशानदार प्रकाशन
जवाब देंहटाएंthank you
हटाएंपढ़ाई करने वालो को cgpsc में अफसर बनने के लिए उकसाने वाली शब्द है। जो कि अच्छी बात है।
हटाएंआपका बडप्पन है भैया जी!
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