गांधी चौक बिलासपुर CGPSC भावी कलेक्टरो कि यात्रा,दर्द और सफ़लता : एक विवेचना
गांधी चौक बिलासपुर CGPSC भावी कलेक्टरो का सफ़र,दर्द और सफ़लता : एक विवेचना
नोट : आप सभी ने पिछले लेख -
https://manojanalyse1.blogspot.com/2025/01/blog-post_28.html
को बहुत प्यार दिया पसन्द किया उससे प्रेरित होकर मैने निर्णय लिया कि मुझे इस सम्बन्धीत और भी लेख लिखना चाहिए जिससे छात्रों को महत्वपूर्ण जानकारी मिले और मन मे आ रहे सारे सवालो के जवाब मिले. लिजिये ! आपके सामने एक और शानदार CGPSC स्टोरी है. अब आपका और मेरा रिश्ता ऐसा बन गया है जैसे छत्तीसगढ़ के इतिहास मे बाबू रेवाराम.
परिचय:
हम छत्तीसगढ़, बिलासपुर के गांधी चौक मे हैं, यहां सुबह और शाम खाली पढ़ाई का बात होता है यहां रिलेशनशीप कि बहस नही ग्रुप डिसकसन : एक बहस, कि ज़ोर ज्यादा दिखाई देती है यह रूम मेट से शुरु होकर चाय कि टपरी से होते हुए क्लास रूम तक जाती और क्लास रूम खत्म होने के बाद ग्रुप डिसकशन हेतु नया तथ्य मिल जाता है यह सतत प्रक्रिया है. यहां कपड़े और सुविधाओ कि नही ग्यान कि तुलना होती है शाम होते ही ये पिज़्ज़ा बर्गर नही 5 रुपया के चाय के शौकिन होते हैं ये बिलासपुर है भैया! यहां सेलेक्टर रहते है दिल टूटने पर शायर ,आशिक या गालिब नही सिधा कलेक्टर बनते हैं.
इस सम्भाग क्षेत्र पर वैसे तो बहुत से जंगल,नदी और पहाड़ हैं लेकिन तालापारा, रतनपुर ,सिरपुर और मल्हार जैसी जगहें भी है जो CGPSC के छात्रों हेतु किसी तीर्थ स्थल या चारो धाम से कम नही है .यहाँ के युवाओ ने लगन परिश्रम और सफ़लता से बिलासपुर को नई फ़ैट्री दी है CGPSC coaching कि फ़ैट्री, यहाँ के युवा गर्लफ़्रेन्ड के साथ बात करते हैं तो भी फ़ैमिली प्लानिंग को पिछे छोड़कर 5 year planning (पंचवर्षीय योजना) कि बात करते हैं ,घुमने कि प्लानिंग करते हैं तो भी कल्चुरी कालिन ऐतिहासिक जगह को प्राथमिकता देते हैं इन युवाओ को अपने पुर्वजों का वंसवृक्ष याद न हो लेकिन रत्नदेव प्रथम कि पुर्वज और पूरी जन्म कुंडली याद रहता है यहां के युवा भले ही सिंधु घाटी न देखे हों लेकिन इनके लिये सिरपुर किसी सिंधु घाटी सभ्यता से कम नही है, दूर्दर्शी होते हैं छत्तीसगढी़या छात्र ये लोग प्रागैतिहासिक काल को समझने के लिये भीमबेटका नही बल्कि सिन्घनपुर और कबरा पहाड़ के गुफ़ाओ से कलेक्टर बनने का रास्ता जरुर ढूँढ लेते हैं.
देश के प्रत्येक राज्यों मे state public service commission द्वारा SPSC Exam का आयोजन कराया जाता है, जैसा कि जानकारी है कि यह एग्जाम किसी भी राज्य का सबसे बड़ा एग्जाम है और पूरे राज्य से बच्चे इसमे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. यहां के छात्र ज़िन्दगी जीने के लिये सांस को नही भारत मे होने वाले समसामयिकी घटनाओ को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं l
CGPSC के भावी कलेक्टर लोग जितना रानी लक्ष्मी बाई,दुर्गावती और कित्तूर चेन्नम्मा को पढ़ते हैं उतना ही बिलासा बाई केवटीन (जिनका योगदान बिलासपुर को बसाने मे अद्वितीय रहा है),महारानी प्रफ़ुल्लकुमारी देवी, महारानी प्रमिला नाग और रानी चो रिस को जानते हैं उनसे प्रेरणा लेते हैं जो साहसी,बहादुर और दूसरों को जीवन देने वाली महान् योद्धाएँ थीं.
CGPSC छात्रों कि स्थिति:
CGPSC छात्रों का जज़्बा और आत्मविश्वास इतना उपर रहता है कि गौरलाटा कि उन्चाई भी कम पड़ जाए, जिन्हे रात का खाना और चैन कि नीन्द इतनी आसानी से नसिब नही होती इन छात्रों को रात के खाने का जुगाड भी सुबह करना पड़ता है.CGPSC छात्रों को मोटिवेशनल वीडियो कि जरुरत नही पड़ती बल्कि अपने घर कि आर्थिक स्थिति और हालात किसी मोटिवेशन से कम नही होती.
सन्दीप महेश्वरी कि वीडियो से जितनी मोटिवेशन आती है उससे ज्यादा मोटिवेशन तो हमारे यहाँ बाबू जी के एक फोन कॉल से आती है मां का फोन कॉल हमे फिज़िकली स्ट्रोन्ग बनाती है तो बाबूजी का फोन कॉल एकॉनोमिक स्ट्रोन्ग बनाती है.
बिलासपुर CGPSC का गढ़ है साहब! यहाँ भारत के नक्शे से ज्यादा समुद्री घोड़े का महत्व है ,यहां दीवाली , होली नही राजिम माघी पुन्नी और मढ़ई मेला का इन्तेज़ार होता है हां! छत्तीसगढ़ भले ही आर्थिक समृद्ध ना हो लेकिन संस्कृति मे किसी से पिछे नही है बस्तर कि संस्कृति के साथ बिलासपुर का राऊत नाचा विश्व विख्यात है. हम यहां दयाराम साहनी को नही, बाबू रेवाराम को ज्यादा पढ़ते हैं ये छत्तीसगढ़ है साहब! यहाँ अमीरो कि बस्ती रहती है संस्कृति से लबालब भरी हुई बस्ती.
CGPSC के छात्र इन्हीं बस्ती से छलांग लगाकर मुख्यमन्त्री और प्रधानमंत्री सचिव के पद तक पहुंचते हैं इस लम्बी यात्रा मे इन CGPSC छात्रों का हाल किसी विश्व युद्ध से कम नही होता है.
CGPSC छात्रों के एक हाथ मे ब्रस और दूसरे हाथ मे 'The Hindu' news paper होता है इनके किचन मे बर्तन कम, पुस्तकें अधिक होती है ये कूकर कि सिटी गीनना भले ही भुल जायें लेकिन तराईन, हल्दीघाटी और पानीपत की लड़ाई, सन् प्रतिद्वंदी कारण जरुर याद रखते हैं जिस कारण इन्हे कभी कभी दाल कि भुजिया तक खाना पड़ता है. ये लोग प्रेमी भी होते हैं लेकिन महाद्वीप मैप के, तभी तो पसंदीदा लड़कियों के केवल चेहरे मे आस्ट्रेलिया और अफ़्रिका महाद्वीप का मैप देख लेते है.
CGPSC pre निकल जाने से ही छात्रों का आत्मविश्वास एवेरेस्ट कि उन्चाई के बराबर होता है , और mains निकलते ही बाबूजी कि ली हुई कर्ज पर ध्यान चला जाता है ऐसे होते हैं CGPSC के छात्र.
ये हर 2 महिने मे पुस्तकें खरीदते हैं लेकिन एक जोड़ी जुते और दो जोडी़ कपडो़ंं मे पूरा एक साल निकाल लेते हैं इन्हे सुबह का नास्ता नसिब नही होता दोपहर मे कूकर के सिटी से पुलाव का सुगंध और रात मे खाना अगले दिन के प्रारम्भिक मध्य रात्रि मे मिलता है, CGPSC बलिदान मांगती है ख्वाहिसो कि पर्सनल जरूरतों की.
लिमिट अटेम्प्ट मे खुद का दृढ़ निश्चय : ठुकरा के मेरा प्यार, मेरा इन्तेकाम देखेगी'
मैने अच्छे से देखा है CGPSC Aspirants के हाथों का हाल, writing practice मे हाथ के दोनो उंगलियों का हाल पुरानी रियासतो के जर्जर हुये खंभे के समान होता है जिसे किसी बाहरी वस्तु से सहायता दिया गया हो, यह सहायता बैन्डेज़ का होता है,और इसी सहायता के कारण जब हमारे उंगलियों से mains क्वालिफ़ाइ हो जाता है तो यही उंगलियाँ किसी विश्व विरासत कि श्रेणी से कम नही होता.
CGPSC इतना बड़ा पाठ्यक्रम है कि जब भी Aspirant ,इसे समझने का प्रयास करता है तो Mains के A4 पेज जैसे कोरा दिखाई देता है जिसे स्याही के 2 रंग से भरे बिना जिन्दगी हंसीन नही लगती.
बिलासपुर मे रात नही होता है बस दिन मे 8--10 घंटे का प्राकृतिक परिवर्तन होता है, यहां पार्टी नही NCERT चलती है जहां टारगेट टोपिक कवर नही हो जाता तबतक खाना हजम नही होता, 10 वीं स्तर गणित और अपने जीवन के गणित को इस तरह से मिलान करते हैं जैसे प्रिलिम्स मे सही जोडी़ ,अगर एक भी गलत हुआ तो 1 साल का दर्द फ़िर से सहन करने का सिलसिला शुरू हो जाता है इस बीच कोई सुन्दर कन्या अगर CGPSC Aspirant का दिल तोड़ दे तो उसकी तैयारी को आसमान मे 7 सफ़ेद घोड़े फ़ुल रफ़्तार मे Interview के कमरे तरफ़ खिंचते हुए महसूस करता है और तब प्रण लेता है 'ठुकरा के मेरा प्यार, मेरा इन्तेकाम देखेगी'.और फ़िर से वही लंबी यात्रा पुर्वी बघेल खन्ड रामगढ कि पहाड़ी से उतर कर हसदेव के रास्ते मैदानी भाग मे महानदी का पानी पी कर "नरेन्द्र वर्मा" का राजकीय गीत- 'अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार , इन्द्रावती ह पखारै तोर पईयां' गुनगुनाते हुये केशकाल से प्रवेश कर बस्तर के रास्ते कोन्टा का सफ़र तय करते हैं.
शहर, SYLLABUS और CGPSC छात्रों का अकेलापन
CGPSC छात्र अपने आप मे एक पूरा पाठ्यक्रम होता है अर्थात् वह छात्र अपने अन्दर पूरा छत्तीसगढ़ और भारत को समाहित करके रखता है अन्जान शहर के गलियो से अनभिग्य एक छात्र सिन्धु सभ्यता के हर शहर व साक्ष्य और सिरपुर के हर मन्दिर हर विहार से लेकर ईन्ट के आकार तक की जानकारी रखता है.
बिलासपुर मे CGPSC छात्रों के दोस्त नही होते केवल PYQ और MCQ होता है ये छात्र अपना एक जोड़ी कपड़ा किसी भावी कलेक्टर को उधार दे सकता है लेकिन खुद का बनाया हुआ नोट्स नही. 2,,3 साल से लगातार पढाई, Revision, Mcq's, Pyq's करने के बाद भी ऐसा लगता है जैसे 2 कमरे वाली बावली कुआँ के पानी मे अन्दरूनी रास्ता ढूँढना. ऐसा महसूस होता है जैसे ब्लड रिलेशन मे भांजा के नानी के नातीन के भाई ददा के पत्नी के जेठानी के भाई के पत्नी के बेटा बहु के रिस्ता खोजना.इसमे सेल्फ़ रेस्पेक्ट को किसी डब्बे मे बन्द करने के बाद भी सरल प्रवृत्ति रखना और निरंतर अपने लक्ष्य को आतूर रहने से ही बिलासपुर मे CGPSC मे कुछ उखाड़ सकते हैं वरना सेल्फ़ रेस्पेक्ट का दही धनीया करने के लिए CGPSC के जगह vyapam, railway और ssc gd भी ऐसे बन्द रहते हैं जैसे मोहेन्जोदारो मूवी मे नरभक्षी बकर - ज़ोखर. जिनसे विजयी होने के लिये अपने ग्यान, साहस और कौशल से नियन्त्रण करना होगा.
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